Monday 29 February 2016

लघुकथा (भोजपुरी)

(एक)

 

‘का हो मदन, हे कुहासा में ई झोरा-झंटा ले के कहाँ कहाँ के तैयारी बा?’

‘जा तानी टिशन...बनारस खाती टरेन धरे के बा’

‘का बात...सब ठीक बा नूँ?’

‘हाँ, सब ठीके बा...दिल्ली जाए के बा’

‘दिल्ली...कौनो मरजेंसी बा का?’

‘ना...मरजेंसी तs नईखे कवनो, बाबुसाहेब से कह के ऐमस में लमर लगवईले रहनी तs ओईके तारीख बा काल्ह’

‘काल्ह के...हेतना जल्दी कवन टरेन से दिल्ली चहुँपबs?’

‘मोदी जी जवन नवका टरेन देहले बानी ओईसे...साँझी खा बा बनारस से?

‘ओही टरेनवा से नु हो जेईमें के टोंटियों लोग खोल लेहले बा?

‘हाँ...ओही से...लोग कहत बा कि बाड़ा गुदगर सीट बा आ भुलेट लेखा चलबो करेले...तबे तs सबेर होत-होत दिल्ली चहुँपावतो बिया’

‘जवन स्पीड से टोंटी गायब होता ओ हिसाब से ऐ टरेन के छठियार आवत-आवत ई पसिंजर मत हो जाव’

‘का मतलब?’

‘मतलब ई कि 200 रुपिया किलो रहर दाल खा के लोग टरेन के डिब्बा में हाजत खातिर थोड़े जात होई’

‘त टरेन के हाजत में लोग का करे जात होई?’

‘टोंटी चोरावे’

 

 

(दो)

 

‘ई कांग्रेस से देस के तs विकास देखल नईखे जात’

‘का हो गईल पांडे जी, काहे नथुना फुलावत बानी?’

‘ऐखबार ना पढ़े नी का, जे हमरा से पूछत बानी?’

‘ऐ घरी ऐखबार में पढ़े लायक कुछो रहते नईखे से बंद करा देहले बानी...बेमतलब पईसा डांढ देहला से का फायदा...खैर...रऊवा बताईं काहे नाक से धुवाँ छोड़त रहनी हँ?’

‘मोदी जी के कहनाम बा कि देश में एगो परिवार बा जवन विकास के हर काम में अड़ंगा डालत बा...ऊ परिवार नईखे चाहत जे देस विकास करो’

‘ना बुझनी...कौन परिवार भाई जी?’

‘बुझाता रऊवो दिमाग बान्हे धs के पकौड़ी खा लेहले बानी...आरे ऊहे माई-बेटा के परिवार’

‘ओह...मने दु गो सांसद मिलके 282 गो सांसद वाला पार्टी के विकास नईखे करे देत...तs का फायदा 56 इंच के सीना के’

‘बुझाता रऊवा दिमाग पर झाड़ू चल गईल बा’

‘झाड़ू...?’

‘हँ... हम बात करत बानी विकास के आ रऊवा अराजक लेखा बात करत बानी’

 

 

(तीन)

 

‘हमरा बुझाता कि 2019 ले राम मन्दिर बन जाई’

‘बाकिर...हमरा तs अईसे नईखे लागत’

‘काहे?’

‘काहे से कि मोदी जी कहले रहनी कि कम से कम 25 बरिस ले भाजपा के सरकार रही’

‘ऐईमें कवन दु राय नईखे...बाकिर मन्दिर 2019 ले काहे ना बनी?’

‘काहे से कि अगर मन्दिर 2019 में बन जाई तs भाजपा अगला 6 साल चुनाव का ओल के नाम लड़ी?’

‘काहे...कासी आ मथुरा तs बढ़ले बा अभी...आ विकास भी तs मुद्दा रही?’

‘अजोध्या ले रथ हाँके वाला तs मार्गदर्शक बन गईले तs कासी आ मथुरा के चुनाव के तीरे के लियाई?

‘दंगा’

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- नैय्यर इमाम सिद्दीकी