मेरे सवाल "क्या आप मुझसे शादी करेंगी?" का बजाए जवाब देने के उसने तमक कर साढ़े सैंतालिस डिग्री के
कोण से मेरे चेहरे को घूरते हुए पूछा, - "कभी अपनी शकल देखी है आईने में?" मैंने उसकी शर्बती आँखों को नज़रों से चखते हुए
कहा, - “आज तक तो मैं अपनी शकल आईने में ही देखता आया हूँ और अगर आप मेरे सवाल का
जवाब ‘हाँ’ में दे दें मैं वादा करता हूँ कि मैं जल्दी ही अपनी शकल आपकी इन झील सी
आँखों में देखने लगूँगा”.
‘बड़े बदतमीज़ हो तुम’, उसने अपनी आँखों पे चश्मा जमाते हुए कहा.
‘जी, ज़र्रा नवाज़ी का बहुत-बहुत शुक्रिया लेकिन मैं आपकी इस तारीफ़ को इक़रार
समझूँ या इनकार?’ चश्मे के पीछे छुपी उसकी आँखों को घूरते हुए मैंने पूछा.
‘तुम्हारा सर’ ... और वो पैर पटकती वहाँ से चली गयी.
~
- नैय्यर / 21-09-2015
No comments:
Post a Comment