Monday 2 February 2015

लप्रेक / चाँद

- तुमने आज का चाँद देखा?
- नहीं, क्यूँ कोई ख़ास बात? वैसे, इस अब्र-आलुद मौसम में भला चाँद दिखेगा भी?
- प्रिये ! खिड़की पर आओ और मेरी नज़र से देखो. कल शाम तुमने गीली मिट्टी पर अपने पैर के अंगुठे से जो चंद्रमा बनाया था न आज वो आसमान पर उग गया है.
~
- नैय्यर / 23-01-2015

No comments:

Post a Comment