Sunday 13 April 2014

अक्षांश और देशान्तर से मीलों परे
इक ऐसी गुमनाम दुनिया है
जिसके घूर्णन की दिशा तय होती है
आपके ह्रदय की धुरी के कोण अनुसार
फ़लस्वरूप, यहाँ मौसम बदलते हैं
सुख और दुःख विचरते हैं मेरे मन के आँगन में

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© नैय्यर / 13-04-2014

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