Wednesday, 12 March 2014

महामहिम श्री प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति, भारत गणराज्य, के नाम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाखाओं कि स्थापना में हो रही देरी के सम्बन्ध में खुला पत्र

सेवा में, 
सचिव (राष्ट्रपति),
राष्ट्रपति भवन 
नई दिल्ली-११०००४, भारत

महामहिम जी,
सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा आयोजित सैंतीसवें "इंडियन सोशल साइंस कांग्रेस" में हम आपका हार्दिक स्वागत करते हैं। साथ ही हम आपका ध्यान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाखाओं के खुलने में हो रही देरी कि तरफ भी खींचना चाहते हैं। सर सैयद अहमद ख़ाँ द्वारा स्थापित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत ही नहीं वरन विश्व का एक सम्मानित विश्वविद्याल है, जो १९२० से केंद्रीय विश्वविद्याल कि हैसियत से आज़ादी से पूर्व एवं आज़ादी के बाद शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी योगदान देते हुए राष्ट निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। "मोहम्मदन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज" के रूप में शुरू हो कर वर्तमान रूप तक इस विश्वविद्यालय ने शिक्षा, रक्षा, उद्योग, कला, फ़िल्म, चिकित्सा, वाणिज्य, अभियांत्रिकी, खेल एवं अन्य क्षेत्रों में अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभा को जनम दिया है। इस विश्वविद्याल के छात्रों ने सैन्य एवं शिक्षा अलंकारों के साथ साथ पदम् श्री से लेकर भारत रत्न तक अपनी क़ाबिलियत सिद्ध किया है। इस विश्वविद्यालय ने अपने देश के साथ साथ दूसरे कई देशों के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, राजनयिक, शिक्षा, रक्षा, उद्योग, कला, फ़िल्म, चिकित्सा, वाणिज्य, अभियांत्रिकी, खेल एवं अन्य क्षेत्रों के लिए उत्कृष्ट प्रतिभा को जन्म दिया है।

सर सैयद अहमद ख़ाँ ने इस विश्वविद्यालय कि स्थापना महाद्वीप के मुसलमानों की शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने के उद्देश्य से किया था। उन्होंने कहा था कि ' हिन्दुस्तान एक ख़ूबसूरत दुल्हन कि तरह है और हिन्दू और मुसलमान उसकी दो खूबसूरत आँखें" उनका मक़सद इस विश्वविद्याल द्वारा देश की शिक्षा ज़रूरतों को पूरा करने के साथ सामाजिक एवं धार्मिक सौहार्द बनाये रखना भी था।

न्यायमूर्ति श्री सच्चर की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय नें अल्पसंख्यकों खास तौर पर मुसलमानों के शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए पाँच राज्यों में इस विश्वविद्यालय कि शाखा खोलने का निर्णय लिए। केरल में मल्लापुरम, पश्चिम बंगा के मुर्शिदाबाद के शाखा में शैक्षणिक कार्य जरी है, बिहार के किशनगंज में इस सत्र से बीं.एड पाठ्यकर्म चालू किया गया है परन्तु महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश की सरकार इस मामले में अबतक उदासीन ही रही है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों का 'विजिटर' होने के नाते मैं आपसे इस मामले में तुरंत हस्त्क्षेप कि मांग करता हूँ।

राज्य सरकारों कि तरह इस मामले में केंद्रीय सरकार कि उदासीनता समझ से परे है। नए केंद्रीय विश्वविद्यालय, आई. आई. टी., आई. आई. एम., एम्स, एन. आई. टी., के नाम एवं राज्य के घोषणा के साथ ही सम्बंधित राज्य सरकार ज़मीन अधिग्रहण कर निर्माण कार्य शुरू कर देती है, और निर्माण कार्य चलने तक किराये के मकान या दूसरे सम्बंधित शिक्षण संस्थान में शैक्षणिक कार्य शुरू हो जाता है, पर न जाने क्यूँ अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय कि शाखा के नाम पर केंद्र एवं राज्य सरकारों को सांप सूंघ जाता है। दूसरे शिक्षण संस्थानों के लिए न तो धन कि कमी है न ज़मीन की, न शिक्षक न संसाधन की, फिर ए. एम. यु कि शाखा के वक़्त ही सब अड़चनें क्यूँ आती हैं?

इन पांच राज्यों के अलावा आँध्रप्रदेश, राजस्थान, कर्णाटक, पंजाब एवं सुदूर पूर्वोत्तर राज्यों में भी इस विश्वविद्यालय कि शाखा खोलने कि मांग हम आपके सामने रखते हैं, और उम्मीद करते हैं कि आप इस मामले में हो रही देरी पर संज्ञान लेंगे।

आदर के साथ
समस्त अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय परिवार कि तरफ से

नैय्यर इमाम
व्यवहारिक भू-विज्ञानं
राष्ट्रीय प्रोधोगिकी संश्थान-रायपुर
जी. ई. रोड-४९२०१०, रायपुर
छत्तीसगढ़, भारत 


27-12-2013

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